सामग्री प्रकाशित करने की शर्तें

कुछ महीने पहले अंग्रेजी दैनिक टेलीग्राफ में हिन्दी एवं प्रादेशिक चिट्ठों के बारे में लेख निकला था। इसमें इनके और मेरे चिट्ठे का भी उल्लेख था। इसमें कुछ बातें स्पष्ट नहीं थीं। इसे दूर करने के लिये मैंने 'भारतीय भाषाओं के चिट्ठे जगत की सैर' नामक चिट्ठी लिखी। इसमें लिखा था,
'भारतीय पत्नियां या तो पतियों को अपने रंग में रंग लेती हैं, या उनके रंग में रंग जाती हैं - मैं उनके रंग में हूं। बस, मेरे चिट्ठे की चिट्ठियां कॉपीलेफ्टेड नहीं हैं, वे मेरी हैं। महंगाई है, क्या मालुम कभी दो पैसे कमा लूं।'
मैं तो यही सोचती थी कि लोग इनके चिट्ठे की सामग्री प्रयोग करना चाहेंगे पर मेरी नहीं - बस इसीलिये यह बात लिख दी थी। मैं नहीं समझती की हिन्दी चिट्टाकारी में अभी कोई पैसा कमा सकता है। यदि कोई कमा पायेगा तो पहले चिट्टाकार रवी भाईसाहब होंगे या फिर समीर भाईसाहब - कम से कम, मेरे लिये, चिट्ठे से पैसा कमा पाना असंभव है।

कुछ दिन पहले शास्त्री भाईसाहब का ईमेल इनके पास यह पूछते हुऐ आया कि क्या 'मुन्ने के बापू' चिट्ठे की सामग्री भी कॉपीलेफ्टेड हैं। मैंने उन्हे जवाब दिया,

'मैं उन्मुक्त की पत्नी हूं। यह चिट्टा मेरा है। मैंने अपने चिट्ठे पर कॉपीलेफ्टेड नहीं लिखा है क्योंकि मैं नहीं समझती हूं कि कोई मेरी चिट्ठियों का भी प्रयोग करना चाहेगा। पर आपको और जो भी इसका प्रयोग करना चाहे उसे इसकी स्वतंत्रता है।'
मुझे लगा कि मुझे यह बात अपने चिट्ठे पर भी लिखनी चाहिये। मैंने इसे पहले क्रिऐटिव कॉमनस् ३.० की लाइसेंस के अन्दर कर दिया था। इनका कहना था कि विकीपीडिया ग्नू मुक्त प्रलेखन लाइसेंस के अन्दर है और मैं अपने चिट्ठे की प्रकाशित सामग्री इसी के अन्दर करूं। यदि ऐसा नहीं होगा तो यदि कोई मेरे चिट्ठे की सामग्री को हिन्दी विकीपीडिया पर डालना चाहेगा तो भी यह नहीं कर पायेगा क्योंकि इन दोनो लाइसेंसों में विरोधाभास है। इन्होने विरोधाभास को समझाया भी, पर मैंने उस पर ध्यान नहीं दिया। ऐसे यह इस पर लिखने की बात कर रहे थे। कब लिखेंगे ... ???

क्रिऐटिव कॉमनस् के लाइसेंस तो आसान भाषा में हैं - समझ में आते हैं। ग्नू मुक्त प्रलेखन लाइसेंस - यह तो मेरे बिलकुल समझ में नहीं आया। मालुम नहीं वकील लोगों को इस तरह की कानूनी भाषा लिखने में क्या मजा आता है। मैंने इनसे अपनी बात बतायी तो इन्होने मेरी बातों को आसान भाषा में लिख दिया है। यह इस प्रकार है।

'आपको इस इस चिट्ठे में प्रकाशित सामग्री को - चिट्ठे का आभार प्रकट करते हुऐ अथवा उस चिट्ठी से लिंक देते हुऐ - इसी प्रकार अथवा संशोधन कर बांटने, या अपने चिट्ठे अथवा विकीपीडिया पर डालने की अनुमति है।'
मेरे चिट्ठे की सारी सामग्री इन शर्तों के अन्दर है। इनके अनुसार मोटे तौर पर यह क्रीऐटिव कॉमनस् ऐट्रीब्यूशन ३.० की तरह है।

यह विकीपीडिया की नयी शर्तों से ज्यादा स्वतंत्र है पर उतनी मुक्त नहीं है जितनी की इनकी। इनका तो जैसा नाम, वैसा इनका काम, वैसी ही इनके लाईसेंस की शर्तें। इसके लिये तो केवल एक ही नाम है - 'उन्मुक्त-लाइसेंस'।

शास्त्री भाईसाहब, आपको या किसी और को भी इस चिट्ठे की सामग्री प्रयोग करने की स्वतंत्रता है। मुझे अच्छा लगा कि लोग मेरी रचनायें छापना चाहते हैं और उनकी कद्र करते हैं।

चलती हूं - आज बेक्ड फिश बनानी है।
 

उन्मुक्त की पुस्तकों के बारे में यहां पढ़ें।

Comments

  1. Hindi ke chitthe me angrezi ke tags acche nahi lagte...phir apne creative commons ke baat to kahi lekin kya aapko nahi lagta ki 'muft aur mukt' samaj banane ke chakkar me hum ulajh gaye hai...mera ek sawal...agar main aapki photo khinchu to photo par aadhikaar kiska hoga?
    1. mera kyoki woh mera srujnatmak karya hai?
    2. aapka kyoki wo aapki photo hai?
    3. us photo studio wale ka jisne photo ko develop kiya?

    jara jawab dijiye ga.

    ~ pen-go-in

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  2. स्वपनिल जी, मैं विज्ञान की अध्यापिका हूं। मुझे आप की बात समझ में नहीं आयी। मैंने तो सब हिन्दी में ही लिखा है।
    सबको सामग्री कॉपी करने के अनुमति देने की बात इसलिये उठी क्योंकि क्योंकि पुरानी चिट्ठी में मैंने कॉपीराइट की बात कही थी।

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  3. नमस्ते,
    आपका ब्लाग पहली बार देखा, दरअसल उन्मुक्त जी की टिप्पणी मेरे ब्लाग पर आई थी. वहां से लिंक मिला तो उनके ब्लाग पर चला गया, फिर जब वहां से लिंक मिला तो आपके ब्लाग पर पहुंचा. आपकी अनौपचारिक शैली, अपनेपन से भरी भाषा, नालेज और सरलता का अनूठा कंबिनेशन बहुत अच्छा लगा. आपका पूरा परिवार बड़ा अच्छा लगा, एक सच्चे आधुनिक संस्कारों वाला भारतीय परिवार... आप लोगों के बारे में और जानना अच्छा लगेगा. आप इंडियन बाइस्कोप देखें, अपनी टिप्पणी भेजें, उन्मुक्त जी से भी मैं जल्द ही गुफ्तगू करूंगा... पर आपका ब्लाग इतनी पाजिटिव फीलिंग से भरा लगा कि कुछ लिखने से खुद को रोक नहीं सका...
    दिनेश श्रीनेत

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  4. आप ने प्रतिलिपि अनुमति को स्पष्ट किया, आभार. मेरा चिट्ठा "सारथी" क्रियेटिव कॉमन्स में है अत: अन्य लोगों को यह करता देखता हूं तो अच्छा लगता है.

    स्वप्निल ने लिखा "Hindi ke chitthe me angrezi ke tags acche nahi lagte.."

    अच्छे नहीं लगते होंगे, लेकिन सर्च इंजनों के लिये यह उपयोगी है -- शास्त्री जे सी फिलिप

    मेरा स्वप्न: सन 2010 तक 50,000 हिन्दी चिट्ठाकार एवं,
    2020 में 50 लाख, एवं 2025 मे एक करोड हिन्दी चिट्ठाकार!!

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