गर्मी की छुट्टियां

गर्मी की छुट्टियां समाप्त हो गयी हैं। विद्यालय खुल गये हैं; नया सत्र शुरू हो गया है। मेरे लिये तो जुलाई का महीना ही नये साल कि शुरुवात करता है। जनवरी से ज्यादा मुझे इसका इन्तजार रहता है। नये शिक्षा सत्र मे क्या करना है यह सब संकल्प लेने का महीना जुलाई ही है, जनवरी नहीं। यही समय है नये बच्चों से मिलने का, उनके साथ साल भर का प्रोग्राम बनाने का। जब आपके बच्चे अपना बसेरा ढ़ूढने दूर चले जांय तो इसका और भी इन्तजार रहता है।

समय के बीतने के साथ उम्र की सीढ़ी भी तेजी से चलती लगती है पर नये बच्चों के साथ उम्र की ढ़लान भी कम महसूस होती है और उनके उत्साह और सपनो में आने वाले कल की रंगीन तस्वीर देखकर उसी मे डूबने का मन करता है।

मुझे, युगल भइया की मेरी चिट्ठी 'इन्तजार है' पर की गयी टिप्पणी की, याद है। एक लड़के ने अपनी परीक्षा की कौपी पर जवाब लिखने के बजाय कविता लिखी दी थी, इस पर उन्होने मुझे उससे हिन्दी में चिट्ठा लिखने के लिये कहा था। मुझे पहले उसे एक दिशा दिखानी है नहीं तो कहीं वह इनकी तरह सब काम छोड़ बस चिट्ठा न लिखता रह जाय या बस 'बकबक' करने लगे। जब इनके चिट्ठे लिखने का जिक्र आ ही गया है तो इतना बता कर यह चिट्ठी समाप्त करती हूं कि इनके पेटेंट सिरीस के भाग एक की दूसरी पोस्ट '१.२ पेटेंट - ट्रिप्स (TRIPS)' इनके उन्मुक्त चिट्ठे पर यहां पढ़ सकते हैं और यदि आप इसे पढ़ने के बजाय इसे सुनना पसन्द करें तो इसे इनके बकबक चिट्ठे पर यहां सुन सकते हैं।

इन्होने तीन चिट्ठियां पहेली, मार्टिन गार्डनर , और पहेलीबाज जज पर उन्मुक्त चिठ्ठे में प्रकाशित की थीं। इन तीनो चिठ्ठियों को संग्रहीत कर के एक लेख पहेलियां और मार्टिन गार्डनर बनाया है। यह इनके लेख चिट्ठे पर है। इसे आप यहां देख सकते हैं।

अन्य चिट्ठों पर क्या नया है इसे आप दाहिने तरफ साईड बार में, या नीचे देख सकते हैं।

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