टौमी, अरे वही हमारा प्यारा डौगी

'अहा ज़िंदगी' दैनिक भास्कर ग्रुप की मासिक पत्रिका है। यह हम लोगों के यहां रवी रतलाम भाईसाहब की सलाह पर आनी शुरु हुई। उनकी सलाह भी अच्छी है और यह पत्रिका भी।

इस पत्रिका के आखरी पेज पर 'क्या कहिये ऐसे लोगों से' नाम का कॉलम छपता है। अक्टूबर माह के अंक में के कॉलम में लेडी एनाबेल कह रहीं हैं कि,
'मेरे पति और कुत्ते में बहुत सी समानताएं थीं'।

मैं नहीं जानती कि यह उन्होने किस सन्दर्भ में कहा है पर मैं इतना जानती हूं कि टौमी हमारा कुत्ता और ये कितना एक दूसरे को समझते हैं शायद यह हो क्यों न। इनकी फटफटिया जब घर से २०० मीटर दूर भी होती है तो सबको मालुम चल जाता है कि यह आ रहें हैं। किसी को आवाज सुनायी पड़े या न पड़े, टौमी की पूंछ तेजी से हिलने लगती है और वह जोर से भौंकने लगता है। इतनी सारी फटफटियाएं घर के सामने से गुजरती हैं, पर मजाल है कि टौमी किसी और पर यह हरकत करे। मैं अक्सर दरवाजे पर नहीं पहुंच पाती हूं, कभी थकान के मारे, तो कभी कौपी जांचने के कारण, तो कभी खाना बानाने के कारण। पर टौमी है कि दुनिया इधर से उधर हो जाय, चाहे वह जो कर रहा हो - चूहे मारने में या चील पर भौंकने पर - इनके आने पर हमेशा दरवाजे पर पूंछ हिलाते ही मिलेगा।

जब यह घर में रहते हैं तो आपको टौमी को ढूढने की जरूरत नहीं। टौमी हमेशा इनके पास दीवाल की तरफ पीठ कर के बैठा होता है ताकी वह चारो तरफ नजर रख सके। उसे लगता है कि कहीं यदि कोई गड़बड़ी हो तो वह देख सके और इनको बचा सके - जैसे हनुमान राम, लक्षमण की रक्षा कर रहें हों। इनका भी प्रेम टौमी से देखने लायक है या सच कहूं तो न देखा जाने वाला होता है।

टौमी की ही क्यों बात की जाय, हर कुत्ते के साथ उनका लगाव देखने काबिल है। अब पिछले महीने की ही बात को ले लें। हम लोग एक जगह मिलने गये थे। वहां पर एक साहबान जिनके पास कुत्तों का केनल है मिल गये, कहने लगे कुछ नये पिल्ले आयें हैं बस यह तो उनके साथ गये - मरती क्या न करती, मैं भी गयी। पिल्ले तो वास्तव में कई थे, बीगल, लैब्रौडर, बॉक्सर, पॉमेरियन, ऐलशेशियन। इनको तो चैन पड़ा नहीं, सबको एक बार उठाया और चूमा ऊंह ... हूं ऽ...ऽ। इसके बाद बड़े कुत्तों का नम्बर आया, सबसे हांथ मिलाया गया, कुछ को चूमा भी गया तब इन्हें चैन आया।

अपना अपना भाग्य

Comments

  1. "...अपना अपना भाग्य..."

    हा हा हा!! क्या बात कही है!!

    ऐसे वाक्य भ्रांति उत्त्पन्न कर देते हैं. ये तो हम समझ गये कि कुत्तों को चुमा गया, अब इससे उन कुत्तों का भाग्य अच्छा माने या "बुरा", या जिन्होने चुमा उनके भाग्य की ओर देखें? या फ़िर पोस्ट लिखने वाले ने खुद की तरफ़ कुछ इशारा किया है???

    हा हा हा (बुरा ना मानियेगा)!!!
    बुरा ना मानो दिवाली है!! :)

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