अभियान ट्यूरिंग – प्रगति

मैने अपनी पिछली पोस्ट मे जिक्र किया था कि ट्यूरिंग जी मेरे लिये इस तरह का प्रोग्राम बना सकते हैं कि इन्टरनेट कट जाये पर फोन न कटे| विडम्बना देखिये, ट्यूरिंग जी के बारे मे मैने सुन रखा था पर उनके बारे मे जानने का मौका इनके कारण ही मिला|

ये गणित, चिप, और कमप्यूटर विज्ञान पर एक सिरीस लिखने की बात कर रहें है इन्होने इस सिरीस की रूप रेखा बना ली है| वे इसमे बतायेंगे कि,
  • गणित और गणितज्ञों का क्या और किस प्रकार से कमप्यूटर विज्ञान मे योगदान है;
  • चिप क्या है
  • चिप मे किस तरह से बौधिक सम्पदा अधिकार सुरक्षित किये जाते हैं;
  • क्या कम्प्यूटर विज्ञान अपने पठार पर पहुंच रहा है और इसका विस्तार यहीं समाप्त हो जायगा और केवल applications मे सीमित हो जायेगा| या फिर इसमे भी कोई क्रान्ति आयेगी| यदि आयेगी तो किस तरफ से|
ये यह भी कहते हैं कि कम्प्यूटर विज्ञान मे क्रान्ति गणित के दो क्षेत्रों से आयेगी
  • Artificial Intelligence
  • Knot theory/topology
कम्प्यूटर विज्ञान के क्षेत्र मे आने वाली क्रान्ति की कड़ी को वे मुझसे लिखने को कह रहें हैं| इनको इस पर लिखने मे कठिनाई है क्योंकि इनका विज्ञान से सम्बन्ध लगभग४० साल से छूट गया है| तब यह विषय भी नहीं पढ़ाये जाते थे| पर मेरा सम्बन्ध विज्ञान से अब भी है मैं विज्ञान पढ़ाती हूं| इन्होने मुझे दो किताबें भी पढ़ने को दी हैं|
  • The Cambridge Quintet by John L. Casti
  • GöDEL, ESCHER, BACH: An Eternal Golden Braid A Metaphorical Fugue On Minds and Machines in the Spirit of Lewis Carroll; Douglas R. Hofstader.

The Cambridge Quintet कैम्ब्रिज मे पांच लोगो के बीच रात्रि भोज की काल्पनिक कहानी है जिसमे वे Artificial Intelligence के उपर बात कर हैं यह पांच लोग हैं

  1. सी.पी. स्नो, भौतिक शास्त्री एवं सरकारी सेवक
  2. एलेन ट्यूरिंग, गणितज्ञ (Artificial Intelligence)
  3. जे.बी.एस. हालडेन, Geneticist
  4. Erwin Schrodinger, भौतिक शास्त्री एवं नोबेल पुरुस्कार विजेता
  5. Ludwig Wittgenstein, दर्शन शास्त्री
(क्या हमारे जर्मनी मे रहने वाले कोई से भईया आखरी दो नाम का ठीक उच्चारण देवनागरी लिपि मे लिख कर बतायेंगे)

इनके अनुसार यह पुस्तक Artificial Intelligence के हर पहलू को अपने ढ़ंग से रखती है और शायद यह सच भी है क्योंकि इसके लेखक स्वयं जाने माने व्यक्ति हैं और गणित मे PhD हैं| बस यहीं मेरी मुलाकात श्रीमान ट्यूरिंग जी से हुई है| उन्होने मुझे बताया है कि वे प्रोग्राम लिख रहे हैं और शीघ्र भेजेंगे| अब दूसरी पुस्तक पढने की कोई जरूरत नही है क्योंकि जब इनकी ब्लौगिंग बन्द, तब मेरी भी बन्द – आखिर मेरे चिठ्ठे का नाम तो मुन्ने के बापू है, इन ही के चारो तरफ घूमता है| जब यह नहीं, तो मै भी नहीं|

मुझे कुछ जल्दी करनी होगी, क्योंकि इनकी ब्लौगिंग बढ़ती जा रही है| इन्होने एक और चिठ्ठा लेख नाम का खोल लिया है| इनकी ९. ओपेन सोर्स सौफ्टवेर - फ्री सौफ़टवेर: इतिहास की पोस्ट पर रवी भईया ने टिप्पणी कर के सुझाव दिया था कि ओपेन सोर्स सौफ्टवेर की सिरीस समाप्त होने के बाद पूरी सिरीस को एक जगह करके पी.डी.एफ. फौरमैट मे रखें| बस यही सुझाव मान कर पी.डी.एफ. फौरमैट तथा HTML मे ओपेन सोर्स सौफ्टवेर के नाम से यहां रख दिया है कह रहे थे कि लिनेक्स वाली भी रखूंगा और मालुम नहीं कौन कौन सी रखेंगे|

हां, फाइनमेन के बचपन के बारे मे कड़ी भी इन्होने उंमुक्त के चिठ्ठे पर रिचर्ड फिलिप्स फाइनमेन-२ नाम की पोस्ट पर कर दी है आप चाहे तो देख सकते हैं|

मालुम नहीं कितना समय बेकार कर रहें हैं, मुझे जल्दी ही कुछ करना होगा|

Comments

  1. भाभी जी, पहले तो सादर प्रणाम, और इतना अच्छा चिट्ठा लिखने के लिए धन्यवाद -- विशेष प्रसन्नता मुझे इस बात से है कि इस चिट्ठे के शुरू होने के लिए श्रेय का कुछ अंश मैं स्वयं को देता हूँ (दिल के बहलाने को ग़ालिब यह खयाल अच्छा है)। मैं तो आप से यही प्रार्थना करूँगा कि हम पाठकों की खातिर आप अभियान ट्यूरिंग को त्याग दें। क्या करें, इस पर दो चिट्ठों का भविष्य टिका हुआ है।
    जर्मन भाषा में मेरा ज़रा सा दखल है, इस कारण आप के पूछे नामों का उच्चारण बता सकता हूँ।
    Erwin Schrödinger (ö न कि o)- ऍर्विन श्रोय्डिंगर, Ludwig Wittgenstein - लुड्विग विट्गेन्स्टाइन।

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