मेरे पति हिन्दी में तीन चिट्ठे - ' उन्मुक्त', 'छुट-पुट', और 'लेख' - लिखते हैं। वे एक पॉडकास्ट भी 'Bakbak' (बकबक) नाम से करते हैं। उनके चिट्ठों और पॉडकास्ट की सामग्री क्रिएटिव कॉमनस् शून्य (Creative Commons-0 1.0) लाईसेन्स के अन्तर्गत है। अथार्त कॉपीराइट की झंझटों से मुक्त है।
कुछ समय पहले, १९ नवम्बर २००६ में, 'द टेलीग्राफ' समाचारपत्र में 'Hitchhiking through a non-English language blog galaxy' नाम से लेख छपा था। इसमें भारतीय भाषा के चिट्ठों का इतिहास, इसकी विविधता, और परिपक्वत्ता की चर्चा थी। इसमें कुछ सूचना हमारे में बारे में भी है, जिसमें कुछ त्रुटियां हैं। इसको ठीक करते हुऐ, मैंने एक चिट्ठी 'भारतीय भाषाओं के चिट्ठे जगत की सैर' नाम से प्रकाशित की है। इस चिट्ठी हमारे बारे में सारी सूचना है। इसमें यह भी स्पष्ट है कि हम क्यों अज्ञात रूप में चिट्टाकारी करते हैं और इन चिट्ठों का क्या उदेश्य है।
मेरा बेटा मुन्ना वा उसकी पत्नी परी, विदेश में विज्ञान पर शोद्ध करते हैं।
मेरे परिवार के दो अन्य सदस्य थे: टॉमी जो कि गोल्डन रिट्रीवर था लेकिन अब नहीं रहा और एक बॉक्सर जो अभी भी हमारे परिवार का हिस्सा है।
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